एम्स गोरखपुर (Gorakhpur AIIMS) की मेडिकल एजुकेशन यूनिट (MEU) ने "मेडिकल ह्यूमैनिटीज" विषय पर एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य मेडिकल एजुकेशन में मानवीयता (ह्यूमैनिटीज) को पुनर्जीवित करना और उसे पाठ्यक्रम में एकीकृत करना था, ताकि चिकित्सा पेशेवरों को अधिक संवेदनशील और रोगी-केंद्रित बनाया जा सके।

गोरखपुर संवाददाता (नवनीत मिश्र)- कार्यशाला की शुरुआत एमईयू की अध्यक्ष प्रोफेसर शिखा सेठ द्वारा स्वागत भाषण से हुई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता (एसएम), कार्यकारी निदेशक और सीईओ, एम्स गोरखपुर, तथा सम्मानित अतिथि डॉ. अशोक प्रसाद, अध्यक्ष एसएसी, एम्स गोरखपुर ने भाग लिया।
गणमान्य व्यक्तियों ने मेडिकल प्रशिक्षण में कथा चिकित्सा (Narrative Medicine), कला और रंगमंच को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इन माध्यमों से सहानुभूति (Empathy) और रोगी-केंद्रित देखभाल को बेहतर बनाया जा सकता है।
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एम्स गोरखपुर (Gorakhpur AIIMS) में “मेडिकल ह्यूमैनिटीज” कार्यशाला ; प्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा ज्ञानवर्धक सत्र
इस कार्यशाला में दिल्ली के यूसीएमएस (UCMS) कॉलेज के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों का नेतृत्व किया, जिनमें शामिल हैं:
✅ डॉ. उप्रीत धालीवाल (पूर्व निदेशक प्रोफेसर, यूसीएमएस, नई दिल्ली)
उन्होंने “कथा चिकित्सा और कविता” विषय पर चर्चा की और बताया कि कहानी सुनाने (Storytelling) और साहित्य को कैसे चिकित्सा देखभाल का हिस्सा बनाया जा सकता है। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे कहानियां मरीजों और डॉक्टरों के बीच विश्वास और संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं।
✅ डॉ. सतेंद्र सिंह (निदेशक प्रोफेसर, यूसीएमएस, नई दिल्ली)
उन्होंने “ग्राफिक मेडिसिन” पर चर्चा की, जिसमें यह बताया गया कि कला के माध्यम से विकलांगता-समावेशी (Disability-Inclusive) और ट्रांसजेंडर-अनुकूल (Trans-Inclusive) स्वास्थ्य सेवाओं को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है।
✅ डॉ. नवजीत सिंह (पूर्व निदेशक प्रोफेसर, यूसीएमएस, नई दिल्ली)
उन्होंने “चिकित्सा पेशेवरों के लिए सहानुभूति और महत्वपूर्ण सोच” विषय पर एक सत्र आयोजित किया। इसमें यह बताया गया कि डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों को रोगियों की भावनाओं को समझने और नैतिक दुविधाओं को हल करने के लिए किन रणनीतियों को अपनाना चाहिए।
“रिहर्सल फॉर लाइफ” – इंटरैक्टिव थिएटर सेशन
इस कार्यशाला का मुख्य आकर्षण “रिहर्सल फॉर लाइफ” फोरम थिएटर रहा। इसमें संकाय और प्रतिभागियों ने वास्तविक जीवन में चिकित्सा और नैतिक संकटों से जुड़े इंटरैक्टिव थिएटर प्रदर्शन में भाग लिया। इस अनूठे सत्र में रोल-प्ले और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रतिभागियों ने रोगियों की मनःस्थिति को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास किया।
डीब्रीफिंग सत्र और कार्यशाला का समापन
कार्यशाला के अंतिम चरण में एक डीब्रीफिंग सत्र आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने इस विषय को मेडिकल छात्रों और प्रोफेशनल्स से जोड़ने के तरीकों पर चर्चा की। प्रतिभागियों को प्रशिक्षित करने, उनके दृष्टिकोण में संवेदनशीलता लाने और चिकित्सा शिक्षा को अधिक मानवीय बनाने पर जोर दिया गया।
कार्यशाला का प्रभाव
इस कार्यशाला ने मेडिकल छात्रों और संकाय सदस्यों को चिकित्सा शिक्षा में कला, साहित्य, रंगमंच और मानवीय मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टरों के लिए सिर्फ चिकित्सा विज्ञान का ज्ञान पर्याप्त नहीं, बल्कि मरीजों के साथ संवेदनशील और नैतिक दृष्टिकोण भी आवश्यक है।
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