गोरखपुर समाचार (gorakhpur news)उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)

बिजली के निजीकरण : 23 जनवरी को प्री-बिडिंग कांफ्रेंस के दिन प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के खिलाफ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर 19 जनवरी को बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। यह विरोध प्रदेशभर में आयोजित किया गया और कर्मचारी इस आंदोलन के पांचवे दिन भी अपने संकल्प को मजबूत बनाए हुए हैं। समिति ने आगामी सप्ताह में भी काली पट्टी बांधकर विरोध जारी रखने का ऐलान किया है, जिससे यह साफ हो गया कि कर्मचारी निजीकरण की प्रक्रिया को लेकर पूरी तरह से असहमत हैं।
बिजली के निजीकरण के खिलाफ गुस्सा, प्रबंधन की योजना से आक्रोश और बढ़ा
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निर्भीक इंडिया संवाददाता- बिजली कर्मियों के इस विरोध प्रदर्शन की वजह पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा निजीकरण के लिए सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया है। समिति का कहना है कि इस कदम से बिजली कर्मियों में गहरा आक्रोश उत्पन्न हो गया है। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने सलाहकार की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द नहीं किया तो इससे ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का माहौल उत्पन्न हो सकता है, जिसका जिम्मेदार प्रबंधन होगा।

बिजली के निजीकरण के खिलाफ गुस्सा, प्रबंधन की योजना से आक्रोश और बढ़ा

संघर्ष समिति के प्रमुख नेताओं इस्माइल खान, जितेन्द्र कुमार गुप्त, जीवेश नन्दन, अमन गुप्ता और अन्य नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन 23 जनवरी को शक्ति भवन में प्री-बिडिंग कांफ्रेंस आयोजित करने जा रहा है, जो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के लिए कंसल्टेंट नियुक्त करने की प्रक्रिया का हिस्सा है। समिति ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि बिजली कर्मियों में पहले से ही निजीकरण को लेकर गुस्सा था और अब प्री-बिडिंग कांफ्रेंस के समाचार से उनकी नाराजगी और बढ़ गई है।

23 जनवरी को विरोध प्रदर्शन का आह्वान

संघर्ष समिति ने यह भी घोषणा की कि 23 जनवरी को होने वाली प्री-बिडिंग कांफ्रेंस के दिन प्रदेशभर में सभी ऊर्जा निगमों के कर्मचारी, संविदा कर्मी और अभियंता भोजन अवकाश के दौरान कार्यालयों से बाहर आकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। समिति का उद्देश्य यह है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की प्रक्रिया को तुरंत रोक दे, ताकि ऊर्जा क्षेत्र में अस्थिरता और तनाव न बढ़े।

गोरखपुर के संयोजक पुष्पेन्द्र सिंह ने इस संबंध में बताया कि कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए सरकार भारी धनराशि खर्च करने वाली है, जबकि यह पहले से ही स्पष्ट है कि कंसल्टेंट्स ज्यादातर कॉरपोरेट घरानों से आते हैं। वे ऐसे आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) दस्तावेज तैयार करते हैं, जो संबंधित कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में होते हैं। इस प्रक्रिया को “मिलीभगत का खेल” बताते हुए उन्होंने इसके खिलाफ जोरदार विरोध करने का आह्वान किया।

निजीकरण के विरोध में अभियान को तेज करने का निर्णय

संघर्ष समिति ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ अपने अभियान को और तेज करने का भी निर्णय लिया है। 19 जनवरी को रविवार के दिन उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों और परियोजना मुख्यालयों में विरोध सभाओं का आयोजन किया गया। इन सभाओं में सैकड़ों की संख्या में बिजली कर्मचारी और अधिकारी उपस्थित हुए और उन्होंने निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।

गोरखपुर के उपकेंद्र शाहपुर, गीडा और मुख्य अभियंता कार्यालय मोहद्दीपुर में आयोजित विशाल सभाओं में भी कर्मचारियों ने एकजुट होकर बिजली के निजीकरण के खिलाफ विरोध जताया। इस दौरान कर्मचारियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी हालत में अपनी कार्यक्षमता और सेवाओं को निजी हाथों में नहीं सौंपने देंगे।

संघर्ष समिति का विरोध जारी रखने का संकल्प

संघर्ष समिति का कहना है कि जब तक पावर कार्पोरेशन प्रबंधन निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द नहीं करता, तब तक बिजली कर्मियों का विरोध जारी रहेगा। बिजली के निजीकरण का विरोध एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, और प्रदेशभर में इसके खिलाफ आवाजें तेज हो रही हैं।
समिति का यह भी कहना है कि सरकार को इस गंभीर मुद्दे पर शीघ्र हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि कर्मचारियों के बीच बढ़ते हुए आक्रोश को शांत किया जा सके और ऊर्जा क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे।

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