गोरखपुर में 05 मई 2024 की सुबह ऐसे धुंध को ओढ़े हुई थी, कि मानों पुरे क्षेत्र को धुआ (Air Pollution Gorakhpur) ने अपने अपने पर्दे से ढक लिया हो। चारों ओर केवल और केवल धुए की परत फैली हुई थी। यह सोचने की जरूरत है, कि यह वायु प्रदूषण (Air Pollution Gorakhpur) की परत मई के महीने में देखने को मिली है।
निर्भीक इंडिया- वायु प्रदूषण (Air Pollution Gorakhpur) जिसको आम पर तौर पर हम सभी एक्यूआई के नाम से जानने लगे है। इसमें मुख्य रूप से पीएम 10 और पीएम 2.5 के कण पाये जाते है जिसमें से पीएम 2.5 के कण मानव के स्वसन हेतु खतरनाक होता है। इसमें मुख्य रूप से हानिकारक गैस जिसमें कार्बन डाइ आक्साइड कार्बन मोनो आक्साइड इत्यादि घुले रहते है।
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वायु प्रदूषण एवं गोरखपुर (Air Pollution Gorakhpur) की स्थिती
हाल के 5 वर्षो में गोरखपुर के हवा की गुणवत्ता निरन्तर खराब हुई है। इसके कारण यदि आप सत्ता पक्ष और उनके प्रशासन से पूछेगें तो वह कहेगे कि विकास कार्य हो रहा है गोरखपुर का निर्माण हो रहा है। लोग वाहन खरीद रहे है, तो यह तो होगा।
गोरखपुर में निजी वाहन का अधिक उपयोग बढ़ा है। नगर निगम की ओर से सार्वजनिक बसों की संख्या में वृद्धि नही किया गया है। कुछ इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया गया है, लेकिन यह बसों का संचालन केवल कुछ ही भागों में हो रहा है, जिससें उसका स्थान भरने के लिए निजी वाहन तो कही डीजल सीएनजी से चलने वाली ऑटो रिक्शा का उपयोग हो रहा है।
इसके अलावा जो भी निर्माण कार्य हो रहा है, उससे उठने वाले धुल को कम करने के लिए पानी के छिड़काव को समय समय पर न करना भी इसका मुख्य कारण जिससे गोरखपुर वायु प्रदूषण (Air Pollution Gorakhpur) में वृद्धि हो रही है। गोरखपुर वायु प्रदूषण में वृद्धि करने काम पीएम 10 करता है जो इसी निर्माण कार्य के कारण उत्पन्न हुए धुल से होता है।
इससे भी मुख्य बात, गोरखपुर की जनता भी इसको नजरअंदाज कर दिल्ली बनने के राह पर आगे बढ़ रही है। इसका नतीजा केवल और केवल भयावाह होगा। जिला के लोग श्वसन संबधी रोग से ग्रसित हो जायेंगें। जिले के सबसे प्रदूषित स्थानों पर स्मॉग टॉवर लगाने की जरूरत को भी प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है।
मई के महीने में क्यों गोरखपुर में बन रहा है स्मॉग
इससे अनुमान लगाया जा सकता है, कि जो प्रदूषण निरन्तर बना हुआ रहता है। दिन भर के तेज गर्मी में बस हल्का पड़ता है वह कम तापमान पाकर सघन हो जाता है। इसको एक धुए के रूप में तब देखने को मिलता है जब सुबह का तापमान न्यूनतम होता है। हमें अपने आसपास यह धुए की परत दिखती है।
इसमें पैट्रोल डीजल के वाहनों के साथ कल कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित वायु के पीएम 2.5 के कण तो होते इसके अलावा भी निर्माण और प्राकृतिक रूप मे उपस्थित धुल की पीएम 10 कण भी होते जिसमें से पीएम 2.5 सर्वाधिक खराब होता है और नुकसान भी पहुँचाता है।
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