दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी (Delhi Heat Weaves) ने तब इतिहास रच दिया जब दिल्ली के मुंगेशपुर में 52.9 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किए जाने की चिंताजनक रिपोर्ट के बाद हाल ही में हुए घटनाक्रम में, भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने स्पष्टता प्रदान की है, जिसमें अत्यधिक रीडिंग को सेंसर की खराबी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। अब यह सेंसर रीडिंग की खराबी हो या सच्चाई दिल्ली की पारिस्थितिकी बदल रहा है यह कोई अच्छा बदलाव नही है।
निर्भीक इंडिया (लेख)- दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी (Delhi Heat Weaves) को लेकर खुलासा क्षेत्र में चिंता की शुरुआती लहर के तीन दिन बाद हुआ है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू ने तो इसको सेंसर की गलती बता दिया। उन्होनें शनिवार को स्थिति को संबोधित करते हुए पुष्टि की कि दर्ज किया गया तापमान वास्तव में गलत था।
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दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी (Delhi Heat Weaves) व इसके पीछे का आकलन
शुरुआती रिपोर्टों के बावजूद, 29 मई को दिल्ली में किसी भी मौसम केंद्र ने 50 डिग्री के निशान को पार नहीं किया। 30 मई को स्काईमेट के बुलेटिन ने सफदरजंग मौसम केंद्र पर दर्ज अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस की पुष्टि की, जो गलत रीडिंग से काफी अलग है।
दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी (Delhi Heat Weaves) ने पिछले दो दशकों में दर्ज किया गया सबसे अधिक तापमान था। मई महीने का पिछला उच्चतम तापमान 47.2 डिग्री सेल्सियस था, जो 29 मई, 1944 को दर्ज किया गया था। इस तरह की चरम मौसम की घटनाएं जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में विश्वसनीय डेटा संग्रह और विश्लेषण के महत्व को रेखांकित करती हैं।
मुंगेशपुर में बुधवार को हुई घटना दिल्ली के मौसम (Delhi Heat Weaves) के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना थी। जबकि मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने लंबे समय से इस क्षेत्र में तापमान में उतार-चढ़ाव की निगरानी की है, इस विसंगति की भयावहता ने विशेषज्ञों और जनता दोनों को आश्चर्यचकित कर दिया। 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच की भीषण गर्मी ने निवासियों को दमनकारी परिस्थितियों से निपटने के लिए संघर्ष करने पर मजबूर कर दिया।
भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) का पक्ष से क्या समझे
हालांकि, शुरुआती भ्रम और चिंता के बीच, मौसम विभाग (India Meteorological Department) ने सेंसर की खराबी की संभावना पर विचार किया। अब, आधिकारिक पुष्टि के साथ, तापमान रीडिंग की सटीकता के बारे में स्पष्टता बहाल हो गई है।
यह घटना मौसम की निगरानी में शामिल जटिलताओं और डेटा अखंडता और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रणालियों की आवश्यकता की याद दिलाती है।
निष्कर्ष में, जबकि दिल्ली में रिकॉर्ड-तोड़ तापमान की शुरुआती रिपोर्टों ने चिंता पैदा की, सेंसर की खराबी के बारे में भारतीय मौसम विभाग द्वारा बाद में स्पष्टीकरण ने आश्वासन दिया।
रिजिजू के अनुसार, तापमान विसंगति का पता 29 मई को चला था, जिसके बाद मौसम विभाग (India Meteorological Department) की टीम ने तत्काल जांच की। इसके बाद, नागपुर के दो केंद्रों से तापमान डेटा में त्रुटियों के साथ-साथ 3 डिग्री सेल्सियस की विसंगति की पहचान की गई।
इन अशुद्धियों को तब से ठीक कर दिया गया है। रिजिजू ने जनता को सटीक मौसम संबंधी जानकारी उपलब्ध कराने में वैज्ञानिक समुदाय के समर्पण पर जोर दिया।
जैसा कि जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को संबोधित करने के प्रयास जारी हैं, सटीक मौसम डेटा अनुकूली रणनीतियों को सूचित करने और चरम मौसम की घटनाओं के खिलाफ समुदायों की सुरक्षा करने में सर्वाेपरि है।
दिल्ली भारत का एक ऐसा राज्य बनता जा रहा है जहॉ पर गर्मी दिल्लीवासियों को जला देना चाहती है, तो सर्दी में प्रदूषित हवा चैन की सांस नही लेने देती। इस बीच दिल्ली के सांसद और नेता अभी भी देश में जलवायु परिवर्तन को लेकर सजगता से विफर है।
देश की राजधानी ही नही अब देश के अन्य भाग भी इस प्रकार से जलवायु परिवर्तन के परेशानी को महसूस करने लगी है। कही लम्बे समय से होने वाला बारिश अब वहा पर बारिश ही कम हो गई है उसी प्रकार जहॉ भारत में कम बारिश होती थी वहॉ सर्वाधिक बारिश होने लगा है।
यह स्थिती ना सिर्फ मानव जीवन पर प्रभाव छोड़ने वाला है। इसका दूष्प्रभाव हमारे खाद्यान्न और कृषि पर पड़ने लगा है। कभी तेज गर्मी से फसल खराब हो रही तो कभी बिना मौसम के बरसात ने भी किसानों के मेहनत और भविष्य के खाघान्न को प्रभावित कर रहा है।
नवनीत मिश्रा
निर्भीक इंडिया हिन्दी दैनिक
सम्पादक
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