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लद्दाख (Laddakh) को क्यों नहीं देते पूर्ण राज्य

क्या आप को राष्ट्रीय जनमाध्यमों ने लद्दाख (Laddakh) में हो रहे प्रदर्शन की खबर आप को दी है, या नहीं मुझे नहीं जानकारी लेकिन इतना जानकारी अवश्य है कि आप सभी को 5 अगस्त 2019 को मानसून सत्र याद होगा जिसमें केन्द्रीय गृहमंत्राी अमित शाह ने अस्थायी प्रावधान 370 को हटाने के साथ ही जम्मू कश्मीर का पुर्नस्थापन की घोषणा करते हुए जम्मू कश्मीर व लद्दाख (Laddakh) केन्द्रशासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया था, आज उसके लगभग 5 साल पूर्ण होने चले आये है और अब लद्दाख के निवासी इसको पूर्ण राज्य का दर्जा देने की कर रहे है।
लद्दाख (Laddakh) के लोगो को यह सभी चाहिए
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सबसे पहले तो आप को यह समझ लीजिए, कि लद्दाख के लोग केन्द्र की सरकार से चाहती क्या है और उनकी मांग क्या है, और क्या कारण है, कि उस गलने वाले ठण्ड में भी हाथों में तिरंगा उठाये वह प्रदर्शन करते हुए अपने किन अधिकारों को दिए जाने की मांग कर रहे है। साथ ही क्यों 26 फरवरी से आमरण अनशन करने के लिए मजबूर हो रहे है।

लद्दाख (Laddakh) के लोगो को यह सभी चाहिए

जब केन्द्र ने लद्दाख (Laddakh) के कई संगठनों के वर्षो पुरानी जम्मू कश्मीर से अलग होने की मांग को 5 अगस्त 2019 में स्वीकार किया तो, इसकी खुशी लद्दाख को मिली परन्तु यह खुशी ज्यादा व्यापक नहीं हुई जिसके पीछे का कारण था, कि जम्मू कश्मीर के समान इसको भी केन्द्रशासित प्रदेश बनाया गया जिससे यहाॅ के संगठन खुश नहीं है, वह मानते है, कि प्रदेश को राजनीति व स्वशासन का अधिकार केन्द्र दे और इस राज्य को एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करें।

लद्दाख (Laddakh) की जनता की दूसरी मांग संविधान के 6वीं अनुसूची के तहत राज्य की भाषाई, सांस्कृतिक परिवेश के अलावा प्रदेश की भूमि संबधी अधिकारों का संरक्षण प्रदान हो। इसके साथ ही लद्दाख में लद्दाख के युवाओं को रोजगार में आरक्षण दिया जायें साथ ही साथ उनको आर्थिक संसाधन व समान अवसर प्रदान किया जायें।

लद्दाख के इन संगठनों की मांग है, कि कारगिल व लेह के लिए अलग-अलग संसदीय क्षेत्र बनाया जाए, जिसको लेकर तर्क है, कि प्रत्येक क्षेत्रा का अपना जनसंख्यिाकीय व विशिष्ठ भौगोलिक क्षेत्रा को दर्शाने के लिए लेह व कारगिल को अलग संसदीय क्षेत्रा बनाया जायें।

अब आप ने यह देख लिया है, कि मांग क्या है, अब आईये आप को यह जरूर जानना चाहिए कि यदि सरकार सोचती है, कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए तो ऐसे में क्या-क्या करना पड़ेेगा। आप को बता दें कि, राज्य का संगठन, विघटन या परिवर्तन करने का अधिकार संविधान द्वारा केवल संसद को है।

यदि लद्दाख (Laddakh) को पूर्ण राज्य का दर्जा देना है तो इस भाजपा सरकार को सबसे पहले संसद के सत्रा में एक विधेयक राष्ट्रपति के पूर्व अनुशंसा से लाना होगा। इसके बाद विधेयक को आगे कार्यान्वयन के लिए भेजने से पहले महामहिम के द्वारा अनिवार्य रूप में निर्विष्ठ अवधि के भीतर इसके संबद्ध राज्य विधानमंडल के पास भेजना होता है।

इसमें संसद राज्य विधानमंडल से इस पर राय ले सकता है, परन्तु संविधान ने संसद को राज्य पुर्नगठन की जो शक्ति दी उसके अनुसार राज्य विधानमंडल के सलाह को राज्य माने यह भी कोई संसद के बाध्यकारी नहीं है। इसके साथ ही साथ संविधान के छठवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244(2) के तहत जनजातीय भूमि और संसाधनों की सुरक्षा करना तथा इनका गैर-जनजातीय संस्थाओं को हस्तांतरण को रोकना है। यह जनजातीय समुदायों को शोषण से भी सुरक्षा प्रदान करता है, यह उनकी सांस्कृतिक व सामाजिक अस्मिता को बरकरार रखने में तथा उनका प्रोत्साहन सुनिश्चित करता है।

अब बात करतें है, कि सरकार कर क्या रहीं है सरकार मांगों को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्राी नित्यानंद राय की अध्यक्षता में हाई पॉवर्ड कमेटी, एपेक्स बॉडी ऑफ लेह और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक हुई थी। इसमें मांगों पर आगे की बातचीत के लिए एक कमेटी बनाने का फैसला किया गया है। 24 फरवरी को इस कमेटी की बैठक होगी। इसमें आये फैसला 26 फरवरी को समाजसेवी सोनम वांगचुंक के आंदोलन व अनशन का रूख तय करेगी।

आप को बता दें कि उपरोक्त प्रक्रिया और अगामी लगभग 1 से 2 महीनें में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर यदि परिदृश्य का आकलन किया जाये तो ऐसा कुछ होते हुए दिखता नहीं। यहाॅ दूसरा चीज हो सकता कि, सरकार सितंबर 2023 की तरह ही एक आपातकालीन बैठक बुला लें और यह सब करने का प्रयास करें। जम्मू कश्मीर में अभी भी केन्द्रशासित प्रदेश का स्टेट्स बना हुआ और यदि इसकों पूर्ण राज्य का दर्जा मिलेगा तो वहाॅ के नेता भी इसकी मांग करेगें।

भाजपा सरकार अभी भी डिफेंसिव होकर चल रही है, और कोशिश कर रही है, कि मामले को कमेंटी बना कर टाला जा सकें और लोकसभा चुनाव के बाद यदि सरकार रहती है तो आकर देखा जायेगा, क्या किया जा सकता है, लेकिन क्या लद्दाख के लोग इसको लेकर तैयार होगें इस सभी सवालों का जवाब हमें 24 फरवरी 2024 की समाप्ति के साथ ही मिल जायेंगा।

नवनीत मिश्र
प्रधान सम्पादक
निर्भीक इंडिया (हिंदी दैनिक)
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निर्भीक इंडिया (NIRBHIK INDIA) एक समाचार पत्र नही अपितु 244 साल से भी लम्बे समय से चल रहे पत्रकारिता की विचारधारा है, जो हमेशा लोकतंत्र के चारो स्तम्भ को मान्यता देने एवं जनता सर्वोपरि की विचारों का प्रतिनिधित्वकत्र्ता है। आप सभी हमारे साथ जुड़े अपने तन, मन व धन से हमें ताकत दें जिससे कि हम आप (जनता) के लिए आप (जनता) के द्वारा, आप (जनता) के आदेशों पर केन्द्र से सवाल करते हुए एक पूर्ण लोकतंत्र बना सकें।

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