बिहार समेत उत्तर भारत में लालू यादव (Lalu Yadav) और उनके बयान कहने का अंदाज काफी चुटीला है। वह मजाक मजाक में बहुत कुछ कह जाते है। भले ही लालू यादव के बयान हंसी-हंसी में लेते हो लेकिन उनके बयानों का काफी गहरा प्रभाव होता है इसी कड़ी में उनके मुस्लिम आरक्षण (Muslim reservation) के बयान को देखा जा रहा है।
निर्भीक इंडिया (लेख)- लोकसभा चुनाव के बढ़ते चरणों के बीच, कई विवादास्पद मुद्दे सामने आए हैं, जो चर्चा को आकार दे रहे हैं। भारत के विकास और भ्रष्टाचार से लड़ने जैसे विषयों से शुरू हुई कहानी तेजी से मंगलसूत्र की पवित्रता और संविधान की सुरक्षा जैसे विषयों पर पहुंच गई। तय अनुमान अनुसार तीसरे चरण में चर्चा में पाकिस्तान भी आ गया, जबकि चौथा चरण आते-आते अब लालू यादव (Lalu Yadav) ने मुस्लिम आरक्षण (Muslim reservation) का मुद्दा प्रमुखता उठा दिया और यह मुद्दा भी गरमा गया है। गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव की एक हालिया टिप्पणी ने खासी बहस छेड़ दी है।
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लालू यादव (Lalu Yadav) के मुस्लिम आरक्षण (Muslim reservation) पर आये के पीछे का कारण समझे
अपने राजनीतिक कौशल के लिए पहचाने जाने वाले लालू के बयान अक्सर रणनीतिक प्रकृति के होते हैं। मंगलसूत्र बहस और विरासत कानूनों के इर्द-गिर्द चर्चा जैसे धुवीकरण वाले मुद्दों की पृष्ठभूमि में, लालू की टिप्पणी भाजपा की बयानबाजी का अपने स्वयं के धुवीकरण के एक रूप के साथ मुकाबला करने का काम करती है।
मुसलमानों के लिए पूर्ण आरक्षण (Muslim reservation) की वकालत करने वाले लालू (Lalu Yadav) के बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है। ऐसे देश में जहां चुनावी सिद्धांत आम तौर पर धार्मिक विचारों से दूर रहते हैं, लालू के बयान के निहितार्थ प्रासंगिक सवाल उठाते हैं। जबकि स्पष्टीकरण से पता चलता है कि धार्मिक-आधारित आरक्षण का कोई समर्थन नहीं है, भाजपा खेमा आगामी विवाद को भुनाने का एक अवसर मानता है।
अब इसको समझिए कि भारत के लोकसभा चुनाव में विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटिंग ब्लॉकों के महत्व का पता चलता है। 218 से अधिक लोकसभा सीटों पर जहां मुस्लिम वोट नतीजों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं, आरक्षण (Muslim reservation) पर लालू का ध्यान रणनीतिक रूप से प्रतिबिंबित होता है।
मुस्लिम समर्थन बनाए रखने के इंडिया गठबंधन के प्रयासों के साथ जोड़कर देखा जाने वाला यह कदम, महत्वपूर्ण चुनावी क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए एक ठोस प्रयास को रेखांकित करता है।
लालू यादव (Lalu Yadav) का मुस्लिम आरक्षण कार्ड एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। इसलिए ही मैं बताया कि, लालू यादव के द्वारा हंसी-हंसी में किसी भी प्रकार के बयान के काफी राजनीति मायने होते है।
लालू यादव (Lalu Yadav) की कोशिश है कि इन 218 मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों को अपने पक्ष में मोड़ा जाये। जहॉ बिहान में इन मुस्लिम निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान अपने पक्ष में करवाया जायें तो वही अन्य राज्य के ऐसे ही निर्वाचन क्षेत्रों के लोगो से इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में मत पड़े।
मुस्लिम आरक्षण (Muslim reservation) वाले बयान पर भजपा अपना उल्लू सीधा कर रही
बीजेपी अपनी ओर से लालू के बयान को अपने फायदे के लिए भुनाना चाहती है। एम फैक्टर और इसके निहितार्थों के इर्द-गिर्द विमर्श तैयार करके, भाजपा का लक्ष्य यादव समुदाय सहित पारंपरिक मतदाता आधारों पर सेंध लगाना है।
यह हिंदू भावनाओं को आकर्षित करने की भाजपा की व्यापक रणनीति के अनुरूप है, जिसका उदाहरण मंगलसूत्र और राम मंदिर से जुड़ी कहानियां से लगा सकता है। भाजपा मुस्लिम आरक्षण को या यू कहे कि ध्रुवीकरण को धु्रवीकरण से काट रही है।
उभरता हुआ चुनावी मुकाबला एक द्वंद्व प्रस्तुत करता है जबकि इंडिया गठबंधन मुस्लिम आरक्षण (Muslim reservation) की पेचीदगियों को उभार रहा है। भाजपा धार्मिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की चालें चल रही है। इन रणनीतियों की प्रभावकारिता चुनावी नतीजों को आकार देने और देश के शासन की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अभी भारत में लोकसभा चुनाव 2024 के 3 चरण में मतदान हुए है और 4 चरण बाकी है। जैसे-जैसे यह चरण आगे बढेगा भारत के विकास भ्रष्टाचार से हटकर सारा का सारा मुद्दा जाति, वर्ग, धर्म आरक्षण मंदिर मस्जिद उत्तर दक्षिण तक आ जायेंगा। ऐसे नेताओं उम्मीदवारों और इनकी पार्टी का क्या करना है यह आप अपने मत से उपयोग से बेहतर जानते है।
नवनीत मिश्रा (संपादक)
निर्भीक इंडिया हिन्दी दैनिक
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