काग्रेंस नेता सैम पित्रोंदा (Sam Pitroda) ने एक बार फिर से ऐसा बयान दे दिया है, जो कि काग्रेंस के लिए चुनावी स्तर पर गले की फंास बन सकता है। यह सवाल और भी गहरा जाता है, कि क्या सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) ने काग्रेंस को चुनाव हराने की सुपारी ले रखी है, क्योंकि उनके बयान तभी आते है, जब या तो चुनाव चल रहे होते है या चुनाव आने वाले होते है।
निर्भीक इंडिया (लेख)- इस बार सैम पित्रोंदा (Sam Pitroda) ने अपने विवादित बयान में अपनी सीमाओं को ही लांघ दिया। सैम पित्रोदा ने भारत के अलग भाग में रहने वाले लोगो को अलग अलग भू-भाग के लोगों से जोड़ दिया। इस बयान के बाद अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 के बीच सियासी पारा गरम हो चुका है, और एक बार फिर भाजपा जो अभी 400 पार का नारा दे रही थी और इससे नीचे आने लगी थी उसे काग्रेंस पर पलटवार का मौका मिला है।
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सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) का बयान और इसकी गम्भीरता
काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा ने एक साक्षात्कार के दौरान अपने बयान में भारत को विविध बताने के चक्कर में भारत के दक्षिण भाग के लोगो को अफ्रीकी रूपान्तर बता दिया। काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा यही नहीं रूके व तुरन्त पूर्वाेत्तर की ओर गये और वहॉ के निवासियों को चीनी बता दिया।
सैम पित्रोदा ने मानों की काग्रेंस को पूरी तरह से इस लोकसभा चुनाव में कही का न रखने की सोच कर बोल रहे थे। उन्होने भारत के पश्चिम भाग के लोगो को अरब का बता दिया। बस इतना साक्षात्कार बाहर आना था कि, सियासी भूकम्प आ चुका था।
भाजपा ने इसे भुनाना शुरू किया। भाजपा ने सीधा-सीधा सैम पित्रोदा के कंधे पर बंदूक रखकर अपने कडवे बयानों की बुलेट काग्रेंस की ओर दागना शुरू किया। भाजपा ने काग्रेंस को बाँटने वाली पार्टी बताया और कहा कि काग्रेंस देश का बाँट देना चाहती है।
ऐसा बिलकुल नही है, कि सैम पित्रोदा ने यह अपना पहला बयान इस प्रकार से और इस समय पर दिया जब काग्रेंस चुनाव में फंसी हुई है। यह बयान देकर सैम पित्रोदा ने काग्रेंस के लिए ‘‘सेल्फ गोल’’ करने का काम किया है। हर बार काग्रेंस को इसका भुगतान हार के रूप में करना पड़ा है।
सैम पित्रोंदा ने अपने बयान को इस प्रकार से रखने से पहले यह बिल्कुल विचार नही किया कि यह बयान उनकी पार्टी के लिए बचाव करना कैसे सम्भव होगा। निश्चित तौर पर काग्रेंस जैसा हमेशा करती आई है। सैम पित्रोदा के बयान को उनकी निजी राय बता कर पल्ला झाड़ लेगी।
पहले भी दे चुके विवादित बयान
अभी हाल में ही काग्रेंस नेता ने एक और बयान दिया था। उसे भी भाजपा ने काग्रेंस के खिलाफ काफी भुनाया था। काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा ने यूएसए में चलने वाले विरासत टैक्स का उदाहरण देते हुए कहा कि यूएसए में विरासत टैक्स चलता है जिसमें यदि किसी व्यक्ति के पास 10 मिलियन है तो उसमे से उसके बच्चे को 45 प्रतिशत देने के बाद 55 प्रतिशत सरकार अपने पास रख लेती है। यह बेहतर कानून है यह भारत में क्यों नही है।
वह यही नही रूके। उन्होने कहा कि अपनी पूरी सम्पत्ति अपने बच्चे के लिए नहीं छोड़ जानी चाहिए। कुछ सम्पत्ति आप को जनता के लिए भी छोड़ देने चाहिए। इसमें बुराई क्या है। इस बयान को लेकर भी भाजपा ने हाय तौबा मचाया था लेकिन हाथ में बढ़े मीडिया संस्थानों को रखने के बाद भी इसको सुर्खिया नही बना पाई।
काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा के द्वारा दिया गया यह बयान से लोकसभा के तीन चरण में कितना भाजपा को मदद किया यह तो अभी जानकारी नही है, परन्तु सैम पित्रोंदा द्वारा दिया भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लोगो को विभिन्न एथनीसिटी से जोड़ने वाला बयान काग्रेंस के लिए परेशानी खड़ा करेगा यह तो बाकी के 4 चरण के चुनाव बाद बता चल जायेंगा।
एक सवाल यह भी उठता है, कि काग्रेंस ने क्या अपने नेताओं को इतना छूट दे रखा है, कि कोई भी बयान कब देश के अपमान तक आ जाती है उस नेता को भी नही पता चलता है। काग्रेंस चाहती तो इससे पहले सैम पित्रोदा के कई बयानों पर सख्त एक्शन ले सकती थी।
काग्रेंस द्वारा ऐसे नेता पर कार्यवाई नहीं करना और उनके बयानों को उनका निजी राय बता कर कंन्नी काट लेना, जहॉ काग्रेंस के इन नेताओं को और भी ऐसे बयान देने के लिए प्रोत्साहित करता है, तो वही काग्रेंस की छवि को भारतीय मतदाता के समाने धूमिल करता है।
काग्रेंस को सोचने की जरूरत है, कि उसकी असफलताओं के पीछे क्या कारण है। क्या यूपीए के 10 साल के कार्यकाल ने ही काग्रेंस को 10 साल सत्ता विहिन कर रखा है, या काग्रेंस के नेता और कार्यकर्त्ता ही काग्रेंस की जड़ काटने में लगे है।
नवनीत मिश्रा (संपादक)
निर्भीक इंडिया हिन्दी दैनिक
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