निर्भीक इंडिया (Nirbhik India) समाचार पत्र के संवावाददाता के माध्यम से सीएम सीटी गोरखपुर में यूपी पुलिस के कांन्सटेबल (UP Police constables) की स्थानीय कार्य स्थिती को जॉचा गया। जिसमें हमारे कैमरे में उनके आराम करने वाले स्थान की स्थिती दयनीय और डराने वाली पाई।
निर्भीक इंडिया- निर्भीक इंडिया (Nirbhik India) के संवाददाताओं ने असुरन चौक, काली मंदिर चौराहा, गनेश चौक, विश्वविघालय चौराहा, सिविल लाइन चौराहा पैडंलेगंज चौराहा पर बने लोहे के डब्बों का निरीक्षण किया। आप को बता दें कि यह लोहे डब्बों को बनाने का उद्देश्य मुख्य तौर पर यातायात काम से फुरस्त पाने वाले युपी पुलिस कांन्सटेबल (UP Police constables) के सुस्ताने के लिए है।
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यूपी पुलिस कांन्सटेबल (UP Police constables) के लिए बने लोहे के डब्बों की स्थिती-
निर्भीक इंडिया (Nirbhik India) के संवाददाता ने जब इसकी पड़ताल करते हुए रिपोर्ट तैयार करना शुरू किया तो, शुरूवात में ही इसमें खामियां दिखनी लगी। आप को बता दें कि यह कवरेज की शुरूवात जून के मध्य सप्ताह से जुलाई के अंतिम सप्ताह के बीच किया गया था, यह वह समय था जब गर्मी से गोरखपुर समेत पूरा यूपी झूलस रहा था।
यह लोहे का बाक्स एक भठ्टी के समान तपता है। इस बाक्स में हमने कही पर पंखे लगे देखे लेकिन वह चल नही रहा था परन्तु अधिकतर में पंखे की भी व्यवस्था नही थी। यूपी पुलिस कांन्सटेबल (UP Police constables) के जवान यदि आसपास पेड़ की छाव नही है तो उसी तपती भट्टी में बैठने को मजबूर हो जाते है।
इसके अलावा हमने अपनी पड़ताल में पाया कि, यह लोहे के डिब्बे का फर्श पूरा गायब था तो वही कही-कही पर फर्श टूटना शुरू हो चुका था। इसमें यूपी पुलिस कांन्सटेबल कैसे भी करके सुस्ताने के बैठते या किसी पेड़ के छाव का आसरा ढूंढते दिखाई देते है।
यह तो कुछ भी नहीं हमारे संवाददाता ने अपने कैमरे में ऐसे भी स्थानों को चिन्हित किया जहॉ यह लोहे का बाक्स हाईटेन्सन तार के निकट में स्थित था। एक तो लोहे का बाक्स और दूसरा बगल में हाईटेन्शन तार इन यूपी पुलिस कांन्सटेबल (UP Police constables) के जान को जोखिम में डालने वाला है।
निर्भीक इंडिया (Nirbhik India) वीडियो कवरेज
स्थानीय कार्यरत पुलिस की प्रतिक्रिया
हमारे संवाददाताओं ने कई स्थानीय यूपी पुलिस कांन्सटेबल से बात की। सभी ने कैमरे पर बोलने से मना कर दिया, लेकिन सभी ने एक सूर में यह कहा कि हम इसी स्थिती परिस्थितियों में काम कर रहे है। इसी लोहे के बाक्स में बैठ कर भोजन करते है।
संवाददाताओं ने सभी यूपी पुलिस कांन्सटेबल से यह जानना चाहा कि क्या उन्होने कि भी माध्यम लिखित या मौखिक रूप में इसकी शिकायत अपने आला अधिकारियों तक पहुँचाई तो सभी नही एक ही बात कही कि कोई सुनवाई नहीं है और सबको अपनी नौकरी प्यारी है।
संवाददाता ने अपने पड़ताल में पाया कि इस लोहे के डब्बे में पुलिस जवान के लिए पानी की व्यवस्था थी। जिसको पानी डिलीवर करने वाला बाँटता है। इसको लेकर भी हमने स्थानीय पुलिस वाले से पूछा तो उसने बताया कि यह पानी, पानी देने वाला चाहे डर कहे चाहे मानवता हमें दे जाता है।
आप को बता दें कि सीएम सीटी गोरखपुर की यातायात व्यवस्था को यूपी पुलिस के तीन महकमें संचालित करते है जिसमें यूपी पुलिस, यूपी यातायात पुलिस व यूपी होमगार्ड के जवान शामिल होते है।
एसपी ट्राफिक गोरखपुर (SP Traffic Gorakhpur) संजय कुमार की प्रतिक्रिया
निर्भीक इंडिया समाचार के संवाददाता ने एसपी ट्राफिक गोरखपुर (SP Traffic Gorakhpur) संजय कुमार से मिलें और उनका भी पक्ष जाना चाहा। एसपी ट्राफिक गोरखपुर के संजय कुमार ने बताया कि प्रत्येक चौराहे पर लगा यह लोहे का डब्बा निजी रूप से नियत्रिंत होता है।
उन्होने (SP Traffic, Gorakhpur) आगे कहा कि पानी का व्यवस्था किया गया है। उन्होने यह भी कहा कि हाईटेन्शन तार वाले ऐसे स्थानों से इस लोहे के डिब्बे को स्थानान्तरित किया जायेंगा। उन्होने कहा कि वह इस स्थिती को बेहतर बनाने के विकल्पों को भी देखेगें।
आप को बता दें कि इन प्रत्येक लोहे के डिब्बे के ऊपर विज्ञापन का प्रचार लगा हुआ है। इन लोहे की डिब्बे की स्थिती कैसी भी हो लेकिन इसके ऊपर लगा प्रचार काफी सुसज्जित स्थिती में था।
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