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चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) : सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को बचाई लाज़

आप सभी ने बतौर छात्रा के तौर पर या सिविल सेवा में नौकरी की चाह में नागरिक शास्त्र बढ़ा होगा। आप वहाॅ पर भारतीय संविधान व उससे जुड़े उसके विभिन्न अंग व उनके कार्यप्रणाली के साथ एक पारदर्शी व्यवस्था को बनाने के लिए किस प्रकार से कार्य किया जाता है वह सभी आप ने पढ़ा होगा और जब कार्यपालिका का कोई अधिकारी अपने अधिकारों का गलत उपयोग करते हुए किसी पार्टी को सत्ता तक ले जाने का काम करने लगें तो समय रहते एक निष्पक्ष प्रेस का काम होता है, कि वह इसको जनता के साथ देश के जिम्मेदार लोग मुख्य तौर पर न्यायाधिरण के समक्ष रखें आज चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) में हुई धांधली में हुई सुनवाई व आयें फैसले के बाद यह कह सकते है, कि इस देश कुछ निष्पक्ष प्रेस व सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तो है।
चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

सोमवार को चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करनी शुरू किया, और सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि पीठासीन अधिकारी ने एक पार्टी के मेयर को सत्ता दिलवाने के लिए मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार फिर चंढ़ीगढ़ मेयर के लिए पड़े वोटों की गिनती करने का आदेश दिया है, साथ ही साथ पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह के उस बयान को भी खारिज कर दिया कि, मतपत्रा खराब हो चुके थे। सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी को उन मतपत्रों में हुई खराबी को दिखाने के लिए भी कहा, आखिर में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उन 8 मतों को भी वैध करार दिया है।

चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव (Chandigarh Mayor Election) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती

आप को बता दें कि चंढ़ीगढ़ मेयर पद (Chandigarh Mayor Election) के लिए पड़े मतों में से जिन मतों को पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह (Anil Masih) ने खराब कर एक पार्टी को लाभ पहँुचाने की कोशिश थी अब, उनको जोड़कर गिनती किया जायेगा। ऐसे हम आप को बता दें कि जोड़ तोड़ में माहिर माने जाने लगी भाजपा ने इस फैसले का अनुमान लगा लिया था, अभी हाल के दिनों में चंढ़ीगढ़ नगर निगम चुनाव (Chandigarh Mayor Election) में जीत कर आये आप पार्षदों मेें से कुछ ने भाजपा में छलांग लगाई है।

अब आप को बतातें है, कि इस रिटर्निंग आफिसर अनिल मसीह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश महोदय, ने किस-किस प्रकार के टिप्पणी की। आप को बता दें कि, जहाँ पर मुख्य न्यायाधीश महोदय ने कहा कि ‘‘क्या आप ने मतपत्रों पर क्राॅस बनाया था या नहीं’’ जिस पर इस अधिकारी ने जवाब देने में आना कानी कि तो फिर सीजेआई चंद्रचूड ने दवाब के साथ पूछा ‘‘आप ने मतपत्रों पर क्राॅस बनाया था हाँ या ना’’ जिसके बाद इस अधिकारी ने स्वीकार किया कि हाँ उसने यह किया था।

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने चंढ़ीगढ़ मेयर चुनाव में इस अधिकारी द्वारा एक पार्टी को सत्ता दिलाने की ललक और इसकी इस ललक को सीसीटीवी के सान्ध्य प्राप्त होने के बाद अपनी इससे पूर्व की सुनवाई में कहा था कि यह तो ‘‘लोंकतंत्रा की हत्या’’ है। उन्होनें कहा हम साफ विडियों में देख पा रहे है, कि यह चुनाव में फर्जीवाड़ा कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उस दिन अपनी कार्यवाही में कहा हम चुप नही बैठेगें, हम ऐसा नही होने देंगें।

आप को बता दें कि, इस रिटर्निंग आफिसर को बता था कि, वहाॅ वर कैमरा लगा हुआ है और उसकी सभी गतिविधियों को कैद कर रहा है लेकिन उस आफिसर ने एक बार फिर चुनाव प्रणाली, उसकी गरिमा, उसकी पारदर्शिता, उसपर होने वाले जनता के विश्वास को नजर अंदाज किया। आज यह जो विडियों देश के सभी लोगों तक पहुँचा वह आने वाले किसी भी चुनाव को किस प्रकार से सोचेगें, किसी भी नतीजों का संदेह नहीं उठेगा।

नवनीत मिश्र
प्रधान सम्पादक
निर्भीक इंडिया (हिंदी दैनिक)
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निर्भीक इंडिया (NIRBHIK INDIA) एक समाचार पत्र नही अपितु 244 साल से भी लम्बे समय से चल रहे पत्रकारिता की विचारधारा है, जो हमेशा लोकतंत्र के चारो स्तम्भ को मान्यता देने एवं जनता सर्वोपरि की विचारों का प्रतिनिधित्वकत्र्ता है। आप सभी हमारे साथ जुड़े अपने तन, मन व धन से हमें ताकत दें जिससे कि हम आप (जनता) के लिए आप (जनता) के द्वारा, आप (जनता) के आदेशों पर केन्द्र से सवाल करते हुए एक पूर्ण लोकतंत्र बना सकें।

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