सम्पादकीय (Editorials)

काग्रेंस (congress) का खाता फ्रीज, क्या भी है, एक रणनीति

कांग्रेस (congress) के बैंक खाते के संबंध में हाल ही में उठाए गए कदम इसके संचालन को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करने के लिए तैयार हैं। क्या यह आयकर विभाग (Income Tax Department) की मंशा से मेल खाता है? मौजूदा माहौल को देखते हुए जहां विपक्ष के मुकाबले केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई जांच के दायरे में है, ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है।
काग्रेंस के खाते फ्रीज होने के पीछे के कारण

यदि हम इस सभी गतिविधियों को देखे तो हम क्या पाते है, जिस समय और तरीके से कांग्रेस (congress) का खाता निलंबित किया गया, वह पहली नजर में राजनीति से प्रेरित कदम प्रतीत होता है। यह कार्रवाई चुनावी बांड (Election Bond) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद तेजी से हुई, जिसने सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) को प्राप्त असामान्य रूप से उच्च दान और उनके स्रोतों पर ध्यान आकर्षित करके असहज स्थिति में डाल दिया।

काग्रेंस (Congress) के खाते फ्रीज होने के पीछे के कारण

नतीजतन, देश की मुख्य विपक्षी पार्टी को निशाना बनाने के पीछे के अंतर्निहित उद्देश्यों के बारे में संदेह स्वाभाविक रूप से सामने आया। किसी को आश्चर्य हो सकता है कि क्या इस कार्रवाई का उद्देश्य विपक्ष की दान प्रक्रियाओं में धोखाधड़ी प्रथाओं को उजागर करना है।

यहाँ पर हमें आयकर विभाग (Income Tax) की कार्रवाई की बारीकियों की जांच करते तो हम देखते है, कि यह वित्तीय वर्ष 2018-19 में पांच साल की अवधि में कांग्रेस (congress) को प्राप्त दान से संबंधित है। पार्टी अपना आयकर रिटर्न (Income Return) समय सीमा (31 दिसंबर, 2019) तक दाखिल करने में विफल रही और इसे 45 दिन की देरी से जमा किया।

इसके बदले में, पार्टी ने पिछले वर्ष के दौरान कुल 199 करोड रुपये का दान प्राप्त करने की घोषणा की, साथ ही पार्टी के सांसदों और विधायकों से 14 लाख 40 हजार रुपये की नकद राशि प्राप्त की। आयकर विभाग (Income Tax Department) ने नकद राशि को विसंगति के रूप में पहचाना और 45 दिन की देरी के लिए 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।

गौरतलब है कि यह लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ था। जब कांग्रेस (congress) ने अपीलीय न्यायाधिकरण में खाता संचालन निलंबन का विरोध किया, तो प्रतिबंध हटा दिया गया, हालांकि इस शर्त के साथ कि कांग्रेस खाते में 155 करोड़ रुपये का शेष बनाए रखे।

हालाँकि, पार्टी का दावा है कि उसके पास इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की कमी है, जिससे खाता व्यावहारिक रूप से अनुपयोगी हो गया है। यह घटनाक्रम पार्टी के संचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने के लिए तैयार है।

कोई यह सवाल कर सकता है कि क्या यह आयकर विभाग के उद्देश्यों के अनुरूप है, खासकर ऐसे समय में जब विपक्ष के प्रति केंद्रीय एजेंसियों की निष्पक्षता पहले से ही जांच के दायरे में है। ऐसा नहीं है, कि यह पार्टी ने अपने सत्ता के शक्ति का उपयोग विरोधी के खिलाफ करने में किसी भी प्रकार से कतराई है, और यह भी नहीं कि जो आज विपक्ष में उसने इन सभी सरकारी एजेन्सियों को स्वतंत्राता से काम करने के प्रख्यात है, सच्चाई है कि जिसके हाथ लकड़ी है, उसी की भैंस और यह अपनी भैंस का मरखाॅ भी बना कर दूसरों को रौदने के लिए छोड़ देती है।

सवाल एक बार फिर से उठ रहा है, कि क्यों सरकार इन सभी सरकारी एजेन्सियों (Government Agencies) को आजाद करता है। हम सबको बता है, कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पिजडे़ में बंद तोता कहा था। आज के समय में केन्द्रीय एजेन्सियाँ तभी सक्रिय होती है जब कुछ होने वाला है या तो कही राजनीति सत्ता का उठा-पठक होने वाला होता है।

जब आज यह हुआ तो इसमें भले ही कोई राजनीति भाग न हो, परन्तु आज इसको उस रूप में जरूर देखा जायेंगा, चाहे कोई भी कुछ भी बोले और अब तो इस सरकार को इसमें कोई फर्क भी नहीं पड़ता है, कि विपक्ष के साथ ही जनता में यह भी सवाल खड़ा हो रहा है, कि विपक्ष को समाप्त करने के प्रयास हेतु केन्द्रीय एजेन्सियों का उपयोंग कहीं सही तो नही।

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