बुधवार को अग्रेंजी विभाग डीडीयू (English department ddu) के प्रमुख प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ला की अध्यक्षता में शोध छात्रों की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसका मुख्य एजेंडा विभाग की भावी शोध पहलों पर चर्चा करना था।
निर्भीक इंडिया- अग्रेंजी विभाग डीडीयू (English department ddu) के बैठक के दौरान लिया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय शोध छात्रों द्वारा डिजिटल मानविकी विषय पर एक पुस्तक संपादित करने और प्रकाशित करने की योजना थी।
Table of Contents
अग्रेंजी विभाग डीडीयू (English department ddu) के डिजीटल मानविकी पुस्तक का विवरण
अग्रेंजी विभाग डीडीयू (English department ddu) के शोध छात्रों ने आज के डिजिटल युग में डिजिटल मानविकी के महत्व और प्रासंगिकता पर जोर दिया, सामाजिक जीवन पर इसके गहन प्रभाव को स्वीकार किया।
सहयोगात्मक पुस्तक डिजिटल मानविकी के विभिन्न पहलुओं, जैसे आभासी वास्तविकता, सार्वजनिक जीवन पर सोशल मीडिया का प्रभाव, डिजिटल दुनिया और समाज, फिल्म, वेब सीरीज, गेमिंग, ऑनलाइन शिक्षा और डिजिटल साहित्यिक अभिलेखागार के प्रभाव पर प्रकाश डालेगी।
अग्रेंजी विभाग डीडीयू (English department ddu) के प्रोफेसर शुक्ला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह पहल कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन से प्रेरित है, जो लगातार छात्रों के शैक्षणिक विकास की वकालत करती हैं।
अग्रेंजी विभाग डीडीयू के प्रोफेसर शुक्ला का वकत्व्य
उन्होंने टिप्पणी की कि यह परियोजना डिजिटल मानविकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देगी और शोध छात्रों को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करेगी। उन्होंने छात्रों को उनके अभिनव प्रयासों के लिए बधाई दी और उनके समर्पण की प्रशंसा की।
अंग्रेजी विभाग, जो अपनी मासिक पत्रिका साहित्य विमर्श के लिए जाना जाता है, जिसे छात्रों की सहायता से प्रकाशित किया जाता है, अगस्त में अपना दसवां संस्करण जारी करने के लिए तैयार है। डिजिटल मानविकी पर आगामी पुस्तक विभाग के शैक्षणिक प्रयासों में एक प्रगतिशील कदम है।
योगेंद्र प्रताप सिंह, मधुकर राय, अभिनेश्वर गोस्वामी, रितेश शर्मा, दिव्या, विकास, सुप्रिया, श्वेता, दीपिका, खुशबू, सपना, प्रियंका, सृष्टि, अंजलि और राकेश जैसे शोध छात्र बैठक में मौजूद थे, जिन्होंने इस अभूतपूर्व परियोजना के प्रति अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाई।
पुस्तक परियोजना के अलावा, बैठक में एक रोमांचक घोषणा भी की गई। अगस्त में एक पेपर प्रस्तुति प्रतियोगिता निर्धारित की गई है। प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि यह प्रतियोगिता शोधकर्ताओं के लिए अपने काम को प्रदर्शित करने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में काम करेगी, जिसमें शीर्ष तीन प्रस्तुतकर्ताओं को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य विद्वानों की उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करना और उत्कृष्ट शोध प्रयासों को मान्यता देना है।
यह रणनीतिक बैठक दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक अनुसंधान और नवाचार को आगे बढ़ाने के प्रति समर्पण को रेखांकित करती है। डिजिटल मानविकी के गतिशील क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करके, विश्वविद्यालय का उद्देश्य समाज पर डिजिटल दुनिया के प्रभाव की गहरी समझ को बढ़ावा देना है।
आगामी पुस्तक और पेपर प्रस्तुति प्रतियोगिता अपने छात्रों के बीच बौद्धिक विकास और शैक्षणिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
निर्भीक इंडिया (NIRBHIK INDIA) एक समाचार पत्र नही अपितु 244 साल से भी लम्बे समय से चल रहे पत्रकारिता की विचारधारा है, जो हमेशा लोकतंत्र के चारो स्तम्भ को मान्यता देने एवं जनता सर्वोपरि की विचारों का प्रतिनिधित्वकत्र्ता है। आप सभी हमारे साथ जुड़े अपने तन, मन व धन से हमें ताकत दें जिससे कि हम आप (जनता) के लिए आप (जनता) के द्वारा, आप (जनता) के आदेशों पर केन्द्र से सवाल करते हुए एक पूर्ण लोकतंत्र बना सकें।