racial slurs : सैम पित्रोदा पर कार्यवाई तो हुई

काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा के द्वारा एक साक्षात्कार में भारत को विविध बताने के तथ्यों को बल देने के लिए जिस नस्लीय टिप्पणी (racial slurs) का उपयोग किया, इससे काग्रेंस के लिए केवल और केवल परेशान ही खड़ी हो रही थी। उम्मीद की जा रही थी उन पर पार्टी कार्यवाई करें।
नस्लीय टिप्पणी (racial slurs) को लेकर काग्रेंस की ओर से खुली आलोचना
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निर्भीक इंडिया (सम्पादकीय)- अब काग्रेंस पार्टी ने कार्यवाई की या काग्रेंस नेता सैम पित्रोंदा को सम्मान रूप में अपनी विवादित बयान की जिम्मेदारी उठाने को कहा गया यह तो अन्तर की बात है। परन्तु सैम पित्रोदा ने अपने इस बयान के बाद इंडियन ओवरसीज काग्रेंस के अध्यक्ष पद को छोड़ दिया है। इसे पार्टी की कार्यवाई मान लिजिए या सैम पित्रोंदा का स्वतः ज्ञान।

नस्लीय टिप्पणी (racial slurs) को लेकर काग्रेंस की ओर से खुली आलोचना

काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा ने अपने एक साक्षात्कार में दक्षिण भारतीय पूर्वोत्तर और पश्चिमी भारत के लोगो को दूसरे देशों के जातीयता (racial slurs) से जोड़ भारत को विविध बताने में अपनी ही भद्द पीटवा ली। राबर्ट वाड्रा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सैम पित्रोदा की आलोचना की।

ऐसे तो राबर्ट वाड्रा का संबध काग्रेंस से को प्रत्यक्ष नहीं है। राबर्ट वाड्रा सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के वाड्रा के पति भी है। अभी रायबरेली और अमेठी पर काग्रेंस उम्मीदवार के चुनाव को लेकर माथापच्ची में राबर्ट वाड्रा का नाम भी आ रहा था, खैर वह उम्मीदवार नहीं बने लेकिन उनके बयान काफी सुर्खिया बटोर लेती है।

वाड्रा की टिप्पणी में गांधी परिवार के भीतर की गतिशीलता, अभिनेत्री कंगना रनौत पर उनके विचार और कांग्रेस की राजनीति की वर्तमान स्थिति पर उनके दृष्टिकोण सहित विभिन्न विषयों पर सवाल जवाब हो रहा था, तब उनसे सैम पित्रोदा के विवादास्पद नस्लीय टिप्पणी (racial slurs) पर सवाल पूछा गया।

उन्होने इस मामले पर खुलकर प्रतिक्रिया किया और सैम पित्रोदा और उनके बयान की आलोचना किया। जिसमें पित्रोदा के विचारों पर अविश्वास और असहमति व्यक्त की गई उन्होने यह भी कहा कि सैम पित्रोंदा एक वरिष्ठ नेता और दिवंगत राजीव गांधी से करीबी रिश्ते है वह इस प्रकार से कैसे बयान दे सकते है।

यह बयान को आप काग्रेंस का आधिकारिक बयान कहे या ना कहे परन्तु राबर्ट वाड्र जो साख सोनिया गांधी परिवार में है उसको देखे तो यह बात को आप यू समझे कि बिना इजाजत तो नही आयेगी।

काग्रेंस नेता सैम पित्रोदा द्वारा नस्लीय टिप्पणी (racial slurs) और फिर कुछ ही समय में उनका ओवरसीज इंडियन काग्रेंस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना और अब राबर्ट वाड्रा ओर से खुल कर सैम पित्रोदा की आलोचना करना यह बताता है, कि काग्रेंस पार्टी किसी भी प्रकार से चुनाव में जोखिम नही लेना चाह रही है।

काग्रेंस ने भाजपा को इन तीन चरणों अपने मुद्दों पर ही चर्चा करवाया है। अभी तक के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के भाषण को विश्लेषित करें तो हम पायेंगे कि, काग्रेंस मुद्दा तय कर रही है, और उस मुद्दे पर भाजपा जवाब देने के जगह कुछ और ही मुद्दा उठा रही है। ऐसा प्रतीक हो रहा है, कि काग्रेंस सत्ता में और भाजपा की मानसिकता अभी भी विपक्ष की बनी हुई है।

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