संदेशखाली (SandeshKhali) एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्राी की कार्यशिथिलता एवं सोमवार 20 फरवरी 2024 को आये कलकत्ता हाईकोर्ट (Kolkata High court) के फैसले को जानने से पहले यह समझिए कि, राजनीति व सत्ता ऐसी दो चीजें होती है, जब आप हमेशा चाहते है, कि जनता आप के समर्थन में रहें और आप या आप की पार्टी के किसी नेता या कार्यकत्र्ता से कही पर भी कभी भी गलती न हो ऐसे में आप दूसरों पर लालछन लगाते रहते है और अपने आप को पाक साफ बताते हुए जनता को बताते है, कि इनकी सरकार में क्या क्या हुआ है या क्या क्या हो रहा है।
तृृणमूल काग्रेंस प्रमुख व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्राी ममता बनर्जी के लिए भी यही स्थिती बनती जा रही है, जहाॅ एक ओर वह इंडिया गठबंधन से अलग होकर लोकसभा चुनाव में जा रही है, तो वहीं लोकसभा चुनाव से पूर्व संदेशखाली (SandeshKhali) में उत्पन्न हो रही स्थिती, जिसमें महिलाओं द्वारा स्थानीय तृणमूल नेता शाहजहाॅ शेख और तृणमूल कार्यकत्र्ता पर लगाये जा रहे, गम्भीर आरोप जहाॅ एक ओर दीदी की परेशानी तो बढ़ा रही तो वहीं दूसरी ओर लगातार विपक्षी नेताओं का संदेशखाली (SandeshKhali) का दौरा करने का प्रयास व रोकने की घटनाचक्र के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट का ध्यान भी अब इस पर आया है और हाई कोर्ट ने दीदी को फटकार लगाई और पूछा है अभी तक आपने शाहजहाॅ शेख को गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
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संदेशखाली (SandeshKhali) को लेकर दीदी की पेरशानियाँ
शुरू से शुरू करता हूँ, जिससे कि जिनको संदेशखाली (SandeshKhali) मामले को लेकर पूरा पश्चिम बंगाल व देश में इसकी चर्चा चल रही है। इसकी शुरूवात 5 जनवरी को होती है, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम तृणमूल काग्रेंस के नेता शाहजहाँ शेख के ठिकानों पर छापेमारी करने 24 परगना पहुँची थी, इस दौरान प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर पत्थरबाजी से हमला किया गया, जिसका आरोप इस नेता के समर्थक पर लगा। इसके बाद 8 फरवरी का दिन आता है, जब संदेशखाली की महिला इस तृणमूल नेता शाहजहाँ शेख व इसके समर्थक के खिलाफ प्रदर्शन करने उतरती है, और खुलासा करते हुए इस नेता व इसके समर्थक पर जमीन कब्जाने और अत्याचार के आरोप लगाती है।
इसके के एक दिन बाद अर्थात् 9 फरवरी 2024 को यही महिला का प्रदर्शन आक्रमक हो जाता है, और उन कथित अवैध कब्जे वाले जमीन जो कि इस शाहजहाँ शेख के समर्थक हाजरा की बताई जा रही थी, पर बने तीन पौल्ट्री फार्म को तोड़ देती है। अभी मामला और ज्यादा व्यापक और गम्भीर हो जाता है, जब यह महिलाएँ दीदी के पार्टी तृणमूल काग्रेंस के कार्यत्र्ताओं पर यह आरोप लगाती है, ‘‘तृणमूल काग्रेंस पार्टी के कार्यकत्र्ता घरों का सर्वे करते है, और किसी के घर में यदि कोई सुंदर महिला मिलती तो उसको पार्टी कार्यालय में रखा जाता है।
कलकत्ता हाई कोर्ट के डिवींजनल बेंच ने दीदी की कार्यशिथलता को देखते हुए फटकार लगाया और पूछा, कि डिवीजन बेंच ने कहा कि शुरुआती तौर पर ये साफ है कि शाहजहां ने लोगों को नुकसान पहुंचाया और आरोप लगने के बाद वो फरार है। ऐसा लगता है कि वो पुलिस की पहुंच से बाहर है। चीफ जस्टिस टीएस सिवागननम और जस्टिस हिरन्मय भट्टाचार्य की बेंच ने कहा- यह चैंकाने वाला है कि समस्या की जड़ में मौजूद एक आदमी अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है और वो फरार है। अगर उसके खिलाफ हजारों झूठे आरोप हैं, लेकिन इनमें अगर एक भी आरोप सही है तो आपको उसकी जांच करनी चाहिए। आप बेवजह लोगों को परेशान कर रहे हैं।
अब अपने लेख के पहले पैराग्राफ पर आता हँू, राजनीति व सत्ता ऐसे दो चीज है, जिसको पाने व चलाने वाला यह चाहता है, कि वह, उसकी पार्टी व उसके कार्यकत्र्ता कोई गलती न करें, इस मामले में राजनीति भाजपा कर रही है, इसमें कोई संदेह की वजह नहीं कि इस मौके को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा भूनाने में लगी है, और बताने की कोशिश है, बंगाल में दीदी के शासन में महिलाएँ ही सुरक्षित नहीं है।
यदि ऐसी घटना यूपी, एमपी, राजस्थान और अन्य भाजपा शासित सरकार में हुई होती तो क्या ममता बनर्जी चुप रहती?, क्या ऐसा व्यक्ति भाजपा का निकलता तो क्या दीदी चुप रहती?, क्या उनकी पार्टी इन क्षेत्रों में नहीं जाने का प्रयास करती? बात यह है, कि राजनीति सदैव अपने हित की बात करती है, और राजनीति कभी भी जनहित की बात ही नहीं करता, वह केवल अपने आप का भला या अपनी पार्टी का भला देखती है, इसके नेता को न देश से फर्क पड़ता है, और न ही अपने जनता की।
नवनीत मिश्र प्रधान सम्पादक निर्भीक इंडिया (हिंदी दैनिक)
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