सम्पादकीय (Editorials)

Navneet Rana का बयान माना जाये या पार्टी का

नवनीत राणा (Navneet Rana) नाम को पहचान की जरूरत नही है। यह नाम अपने काम के लिए जितना नहीं जाना जाता। उससे ज्यादा यह नाम अपने बयानों के लिए प्रख्यात होता है। इस बार फिर लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के चौथे चरण से पहले अपने बयान से सस्ती सियासत करती दिख रही है।
नवनीत राणा (Navneet Rana) की टिप्पणी और उठता विवाद
नवनीत राणा (Navneet Rana) की टिप्पणी और उठता विवाद

निर्भीक इंडिया (सम्पादकीय)- नवनीत राणा (Navneet Rana) लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के चौथे चरण के दौरान भाजपा उम्मीदवार माधवी लता के समर्थन में प्रचार कर रही थी। उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार करते हुए कब नवनीत राणा ने अपनी सीमा लाघ दी यह शायद उनको बाद में ज्ञात हुआ हो या पार्टी की ओर से इजाजत हो क्योकि बिना अनुमति यह बयान तो नही आया होगा।

नवनीत राणा (Navneet Rana) की टिप्पणी और उठता विवाद

हाल के एक घटनाक्रम में, महाराष्ट्र के अमरावती से सांसद नवनीत राणा (Navneet Rana) ने भाजपा उम्मीदवार माधवी लता के समर्थन में हैदराबाद की अपनी यात्रा के दौरान विवाद खड़ा कर दिया। राणा ने ओवेसी बंधुओं पर निशाना साधते हुए भड़काऊ टिप्पणी की, जिसने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है।

नवनीत राणा (Navneet Rana) ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप साझा किया, जिसमें उन्होंने सीधे तौर पर अकबरुद्दीन औवेसी और असदुद्दीन औवेसी को संबोधित किया और उन्हें टकराव भरे लहजे में चुनौती दी। उन्होंने कहा, ‘‘15 सेकंड के लिए पुलिस हटा लें, दोनों भाइयों को पता नहीं चलेगा कि वे कहां से आए और कहां गए।’’ बढ़े हुए राजनीतिक तनाव के संदर्भ में नवनीत राणा की टिप्पणियों ने एक तीखी बहस छेड़ दी है।

भाजपा क्या कार्यवाई करेगी, इसकी सम्भावना कम है। यदि नवनीत राणा (Navneet Rana) की इस टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नही आती है, तो इसको क्या भाजपा का मूक समर्थन माना जाये काफी प्रश्न और सियासी सरगर्मी इस टिप्पणी ने बढ़ा दिया है। यहा पर इस टिप्पणी पर चुनाव आयोग का रूख क्या इस पर भी काफी नजर बना रहेगा।

औवेसी (Owaisi Reaction) ने भी दिया प्रतिक्रिया

नवनीत राणा की टिप्पणियों के जवाब में, ओवैसी (Owaisi Reaction) ने उनकी धमकियों को खारिज कर दिया, और किसी भी डराने-धमकाने की रणनीति के खिलाफ अपनी लचीलापन पर जोर दिया।

हालाँकि, एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने राणा के बयानों की निंदा की, और इसके लिए अमरावती में चुनावी नतीजे पर उनकी कथित आशंका को जिम्मेदार ठहराया। पठान ने राणा की बयानबाजी को निराधार और संभावित हार के सामने भाजपा की हताशा का संकेत बताते हुए निंदा की।

इस विवाद ने राजनीतिक नेताओं की जवाबदेही और चुनावी चर्चा को विनियमित करने में चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। पठान ने चुनाव आयुक्त से हस्तक्षेप करने और राणा की भड़काऊ टिप्पणियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया, जिसमें निष्पक्ष और नैतिक प्रचार प्रथाओं की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

इसके अलावा, पठान ने भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर अनुमान लगाया, यह सुझाव देते हुए कि पार्टी आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण लाभ हासिल करने के लिए संघर्ष कर सकती है। उभरता हुआ नाटक चुनावी युद्ध के मैदान की उच्च-दांव वाली प्रकृति को रेखांकित करता है, जहां पार्टियां तनावपूर्ण माहौल के बीच वर्चस्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

इस बीच, ध्यान तेलंगाना पर केंद्रित हो गया है क्योंकि राज्य 13 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के चौथे चरण के लिए तैयार है। भाजपा ने हैदराबाद सीट से माधवी लता को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे असदुद्दीन औवेसी के साथ मुकाबले का मंच तैयार हो गया है। इस चुनावी मुकाबले का नतीजा निस्संदेह क्षेत्र में राजनीतिक परिदृश्य को आकार देगा।

पहले के सम्पादकीय में लगाया गया अनुमान सही हो रहा है। पहले के सम्पादकीय में कहा गया था कि चुनाव विकास, भ्रष्टाचार, गरीबी और विकसित भारत पर ज्यादा दिन तक नही चलेगी।

जैसे-जैसे अभियान तेज हो रहा है और तनाव बढ़ रहा है, सभी की निगाहें चुनाव आयोग पर टिकी हैं कि वह समान अवसर सुनिश्चित करे और चुनावी प्रक्रिया की अखंडता को बनाए रखे। नवनीत राणा से जुड़ी घटना राजनीतिक चर्चा में, खासकर चुनावी मौसम की गर्मी के दौरान जिम्मेदार और सम्मानजनक आचरण की आवश्यकता की याद दिलाती है।

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